'फिक्सर मंजूर नहीं, कोई नाराज होता है तो हो जाए...', आखिर अपने ही मंत्री पर क्यों भड़के फडणवीस?
- Editor In Chief
- Feb 25
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महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कई सालों से उठा-पटक चल रही है। पक्ष-विपक्ष तो एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं लेकिन कई बार मंत्री व सरकार में शामिल पार्टियों के नेता भी एक-दूसरे से नाराजगी जाहिर करते रहते हैं। ऐसे ही एक बार फिर महाराष्ट्र के सीएम व उनकी सरकार के मंत्री एक-दूसरे से नाराज दिख रहे हैं। जी हम कर रहे हैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे की।
क्या है यह विवाद?
महायुती सरकार में मंत्रियों के OSD और PS का विवाद उस समय खड़ा हो गया, जब कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि महायुती सरकार में हमें कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, हमारे निजी सचिव और ओएसडी भी मुख्यमंत्री तय करते हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में सियासत ने जोर पकड़ लिया और फिर इसका जवाब देने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद आगे आए और जवाब देते हुए कहा कि PS और ओएसडी की नियुक्तियां मुख्यमंत्री ही करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर वह किसी फिक्सर की नियुक्ति नहीं होने देंगे।
कोई नाराज हुआ तो चलेगा, लेकिन...'
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कृषि मंत्री कोकाटे नसीहत देते हुए कहा कि संभवतः उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मंत्रियों के पीएस ,ओएसडी की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री का है, मंत्रियों को अपनी ओर से प्रस्ताव भेजने का काम है, पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री करते हैं। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई नाराज हुआ तो चलेगा, लेकिन फिक्सर की नियुक्ति नहीं की जाएगी। हाल ही में उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान भी कहा था कि मंत्री अपने पसंद के अनुसार PS और OSD की नियुक्ति के लिए नाम उनके पास भेज सकते हैं, लेकिन जिनके नाम फिक्सर और गलत कामों में लिप्त है, वह ऐसे नाम को किसी हालत में मंजूरी नहीं दे सकते।
16 नाम है दागी
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनके पास अब तक OSD और PS की नियुक्ति के लिए 125 नाम का प्रस्ताव आया था, जिनमें से उन्होंने 109 नाम को मंजूरी दे दी है, बाकी 16 नाम को उन्होंने मंजूरी नहीं दी, क्योंकि इन लोगों के खिलाफ कोई न कोई आरोप है। उनके खिलाफ जांच चल रही है, अथवा मंत्रालय में ऐसे लोगों की पहचान फिक्सर के रूप में है, इसलिए कोई नाराज होगा तब भी ऐसे नाम को मंजूरी नहीं देंगे।
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